बचपन के किस्से भाग २

बचपन के किस्से भाग 2 

तो आप कैसे है दोस्तों आशा करता हूँ सही ही होंगे। आज मेरे पास आपको बताने के लिए बचपन के पिटारे में से एक और मज़ाकिया किस्सा हैं जो की मै पक्के तौर से कह सकता हूँ की आपको ये हँसा हँसा के लोट पोट कर देगा। तो बात यही कहीं 9 साल पहले की है जब मैं सिर्फ 6 साल का था और बहुत ही ज्यादा लापरवाह और रॉब झाड़ने वाला बच्चा था। आखिर मैं ही ऐसा बच्चा था जो की साइंस में 1 पोजीशन पे आता  अब आज

की मुझे मुझ्े विज्ञान pasand nhi hai सममूल्य चलो, Kisse बराबर ध्यान केंद्रित करते है तु के लिए हुआ था कश्मीर मेरा तारीख

खिलोना बाहर बगीचे में गिर गया था और सारे दोस्त इस्तेमाल करने के लिए लेन की कह रहे हैं तो मैं बगिचे में कुदा और

जैसे ही खिलोना हाथ में लिया कहीं से बहुत सारे बंदर आकार वहां बैठा हुआ मैं एकदम चुप बिलकुल

एक मूर्ति के तार उधार करीब आधे घंटे तक बैठा रहा और एक सास तक नहीं ली पर जब किसी को शौचालय

जाना हो तो वो क्या उसका बाप भी नहीं रुक सकता तो फिर माई तो एक 6 साल का नादान बच्चा ही था मैं और डर

तक अपनी जरूरत को रोक नहीं पाया और जैसा की आप सोच रहे हैं वही हुआ और जब सारे बंदर टोपी गया तो मैं रोटा रोटा

मम्मी मम्मी चिलते हुए घर के अंदर चला गया और जाकर सबसे पहले शौचालय हो आया पर बहुत डर हो चुकी थी

टंकी आधी खाली हो चुकी थी मैं ज़ोर से रो रहा था और बाहर सारे बच्चे मेरी है हलत को सुनके हस रहे थे

मैंने फिर उस दिन के बाद से एक निर्णय लिए की मैं बंदरो से नहीं द्रुंगा और उनकी ईटी से ईट बजा दूंगा पर इसे

कहने के छबीज मिनट खराब ही एक बंदर ने मेरे गल पे तमाचा जद दिया जैसा कि आपने पहले वाले ब्लॉग में

पीडीए हाय hoga को YHI था मात्र bacchpan ka ek aur mazakiya किस्सा जो मैने aap लोगो को आज मेरी डायरी मुझे BTA दिया।

aap लोग इन मात्र ब्लॉग पे rojana aayiye aur ऐसे aur mazkiya kisse sunkar मेरा Mazak udayiye

धन्यावाड़ी

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